February 18, 2011

भारतीय गरीब है लेकिन भारत देश कभी गरीब नहीं

"भारतीय गरीब है लेकिन भारत देश कभी गरीब नहीं रहा"

ये कहना है स्विस बैंक के डाइरेक्टर का. स्विस बैंक के डाइरेक्टर ने यह

भी कहा है कि भारत का लगभग 280

लाख करोड़ रुपये (280 ,00 ,000 ,000 ,000) उनके स्विस बैंक में जमा है.


ये रकम इतनी है कि भारत का आने वाले 30 सालों का बजट बिना टैक्स के बनाया

जा सकता है.

या यूँ कहें कि 60 करोड़ रोजगार के अवसर दिए जा सकते है.

या यूँ भी कह सकते है कि भारत के किसी भी गाँव से दिल्ली तक 4 लेन रोड

बनाया जा सकता है.

ऐसा भी कह सकते है कि 500 से ज्यादा सामाजिक प्रोजेक्ट पूर्ण किये जा सकते है.

ये रकम इतनी ज्यादा है कि अगर हर भारतीय को 2000 रुपये हर महीने भी दिए

जाये तो 60 साल तक ख़त्म ना हो.


यानी भारत को किसी वर्ल्ड बैंक से लोन लेने कि कोई जरुरत नहीं है. जरा

सोचिये हमारे भ्रष्ट राजनेताओं और नोकरशाहों ने

कैसे देश को लूटा है और ये लूट का सिलसिला अभी तक 2010 तक जारी है.

अंग्रेजो ने हमारे भारत पर करीब 200 सालो तक राज करके करीब 1 लाख करोड़ रुपये लूटा.

मगर आजादी के केवल 64 सालों में हमारे भ्रस्टाचार ने 280 लाख करोड़ लूटा है.

एक तरफ 200 साल में 1 लाख करोड़ है और दूसरी तरफ केवल 64 सालों में 280

लाख करोड़ है.

यानि हर साल लगभग 4.37 लाख करोड़, या हर महीने करीब 36 हजार

करोड़ भारतीय मुद्रा स्विस बैंक में इन भ्रष्ट लोगों द्वारा जमा करवाई गई है.


भारत को किसी वर्ल्ड बैंक के लोन की कोई दरकार नहीं है. सोचो की कितना पैसा

हमारे भ्रष्ट राजनेताओं और उच्च अधिकारीयों ने ब्लाक करके रखा हुआ है .


हमे भ्रस्ट राजनेताओं और भ्रष्ट अधिकारीयों के खिलाफ जाने का पूर्ण अधिकार है.

हाल ही में हुवे घोटालों का आप सभी को पता ही है - CWG घोटाला, २ जी

स्पेक्ट्रुम घोटाला , आदर्श होउसिंग घोटाला ... और ना जाने कौन कौन से घो टाले

अभी उजागर होने वाले है ........


आप लोग जोक्स फॉरवर्ड करते ही हो. इसे भी इतना फॉरवर्ड करो की पूरा भारत इसे

पढ़े ... और एक आन्दोलन बन जाये ...

February 14, 2011

चाणक्यनीति

चाणक्यनीति - अध्याय १
मैं उन विष्णु भगवान को प्रणाम करके कि जो तीनों लोकों के स्वामी हैं, अनेक शास्त्रों से उद् धृत राजनीतिसमुच्चय विषयक बातें कहूंगा  ॥१॥
इस नीति के विषय को शास्त्र के अनुसार अध्ययन करके सज्जन धर्मशास्त्र में कहे शुभाशुभ कार्यको जान लेते हैं ॥२॥
लोगों की भलाई के लिए मैं वह बात बताऊँगा कि जिसे समभक्त लेने मनुष्य सर्वज्ञ हो जाता है ॥३॥
मूर्खशिष्य को उपदेश देनेसे, कर्कशा स्त्री का भरण पोषण करने से ओर दुखियों का सम्पर्क रखने से समझदार मनुष्य को भी दुःखी होना पडता है ॥४॥
जिस मनुष्य की स्त्री दुष्टा है, नौकर उत्तर देनेवाला (मुँह लगा) है और जिस घर में साँप रहता है उस घरमें जो रह रहा है तो निश्चय है कि किसीन किसी रोज उसकी मौत होगी ही ॥५॥
आपत्तिकाल के लिए धनको ओर धन से भी बढकर स्त्री की रक्षा करनी चाहिये । किन्तु स्त्री ओर धन से भी बढकर अपनी रक्षा करनी उचित है ॥६॥
आपत्ति से बचने के लिए धन कि रक्षा करनी चाहिये । इस पर यह प्रश्न होता है कि श्रीमान् के पास आपत्ति आयेगी ही क्यों ? उत्तर देते हैं कि कोई ऐसा समय भी आ जाता है, जब लक्ष्मी महारानी भी चल देती हैं । फिर प्रश्न होता है कि लक्ष्मी के चले जानेपर जो कोछ बचा बचाया धन है, वह भी चला जायेगा ही ॥७॥
जिस देश में न सम्मान हो, न रोजी हो, न कोई भाईबन्धु हो और न विद्या का ही आगम हो, वहाँ निवास नहीं करना चाहिये ॥८॥
धनी (महाजन) वेदपाठी ब्राह्मण, राजा, नदी और पाँचवें वैद्य, ये पाँच जहाँ एक दिन भी न वसो ॥९॥
जिसमें रोजी, भय, लज्जा, उदारता और त्यागशीलता, ये पाँच गुण विद्यमान नहीं, ऎसे मनुष्य से मित्रता नहीं करनी चाहिये ॥१०॥
सेवा कार्य उपस्थित होने पर सेवकों की, आपत्तिकाल में मित्र की, दुःख में बान्धवों की और धन के नष्ट हो जाने पर स्त्री की परीक्षा की जाती है ॥११॥
जो बिमारी में दुख में, दुर्भिक्ष में शत्रु द्वारा किसी प्रकार का सड्कट उपस्थित होनेपर, राजद्वार में और श्मशान पर जो ठीक समय पर पहुँचता है, वही बांधव कहलाने का अधिकारी है ॥१२॥
जो मनुष्य निश्चित वस्तु छोडकर अनिश्चित की ओर दौडता है तो उसकी निश्चित वस्तु भी नष्ट हो जाती है और अनिश्चित तो मानो पहले ही से नष्ट थी ॥१३॥
समझदार मनुष्य का कर्तव्य है कि वह कुरूपा भी कुलवती कन्या के साथ विवाह कर ले, पर नीच सुरूपवती के साथ न करे । क्योंकि विवाह अपने समान कुल में ही अच्छा होता है ॥१४॥
नदियों का, शस्त्रधारियोंका, बडे-बडे नखवाले जन्तुओं का, सींगवालों का, स्त्रियों का और राजकुल के लोगों का विश्वास नहीं करना चाहिये ॥१५॥
विष से भी अमृत, अपवित्र स्थान से भी कञ्चन, नीच मनुष्य से भी उत्तम विद्या और दुष्टकुल से भी स्त्रीरत्न को ले लेना चाहिए ॥१६॥
स्त्रियों में पुरुषकी अपेक्षा दूना आहार चौगुनी लज्जा छगुना साहस और अठगुना काम का वेग रहता है ॥१७॥        

Most recently all the chapter on chanakya 
will be published     
    

February 09, 2011

Book Of Chetan Bhagat Thre Mistakes Of my Life

Three Mistakes Of my life.
the book of famous man called 
CHETAN BHAGAT

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